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Sunday, November 21, 2010

जनाब अब्दुल बारी खान

एक  मुख़्तसर शैरी -नशिस्त  बर- मकान   जनाब  अब्दुल बारी खान , मोहल्ला ताजुखैल , शाहजहांपुर में कल रात ९ बजे मुनकिद हुई . इसमें मुकामी  मशहूर शोरा ने शिरकत कर के ,हाजरीन से खूब दाद हासिल की.
खासकर  शाहजहांपुर के बुज़ुर्ग शोरा  अज़ीज़ शाहजहांपुरी , साग़र वारसी , नसीम शाहजहांपुरी , वसीम मिनाई, मसरूर शाहजहांपुरी  और कई शाइरों ने अपने अपने कलाम से हाजरीन को नवाज़ा और खूब दाद हासिल की. इस की निजामत के  फ़राइज़ सय्यद  मशहूद  जमाल ने  किया जिनकी किताब  "नाम में क्या रखा है " {इन्शाइये} , इसी  साल शाया हुई है.

Friday, November 5, 2010

A PRIVATE MUSHAIRA IN SHAHJAHANPUR

हुसैन  अंसारी  के आवास पर मशहूर शाईर अज़ीज़ शाजहंपुरी  का ग़ज़ल संग्रह " एजाज़े-सुखन " और रौनक मुस्सविर  आरफी का ग़ज़ल संग्रह "बाजयाफ्ता "  का विमोचन  डॉक्टर सग़ीर अहमद अंसारी  और स्वेडेन से आये  मुख्य अतिथि  अखलाक हुसैन अंसारी ने किया .  अदबी तंजीम इदराक के अधय्छ सघर वारसी  और   असग़र यासिर  ने इस मौके  पर मुबारकबाद दी और एक मुशैरा भ मुनकिद हुआ.

यूँ तो हमदर्द  बेशुमार मिले , काश अब कोई गम-गुसार मिले...............अज़ीज़ सेथली

शिकस्त खा गई हालात से अना मेरी ,ज़रूरतों ने सवाली बना दिया मुझको ..........अज़ीज़ शाहजहांपुरी


फिर तेरी याद ने शहर -जाँ में हंगामा किया ,
फिर तस्सवुर में तेरी तस्वीर रोशन हो गई ....................रौनक मुस्सविर


समंदर में उतरना चाहते हैं , ये दरया आज मरना चाहते हैं ........अख्तर शाहजहांपुरी


क्या पलट कर कभी में नहीं आऊंगा , शहर का शहर है महरबान किसलिए ...असगर यासिर