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Friday, November 5, 2010

A PRIVATE MUSHAIRA IN SHAHJAHANPUR

हुसैन  अंसारी  के आवास पर मशहूर शाईर अज़ीज़ शाजहंपुरी  का ग़ज़ल संग्रह " एजाज़े-सुखन " और रौनक मुस्सविर  आरफी का ग़ज़ल संग्रह "बाजयाफ्ता "  का विमोचन  डॉक्टर सग़ीर अहमद अंसारी  और स्वेडेन से आये  मुख्य अतिथि  अखलाक हुसैन अंसारी ने किया .  अदबी तंजीम इदराक के अधय्छ सघर वारसी  और   असग़र यासिर  ने इस मौके  पर मुबारकबाद दी और एक मुशैरा भ मुनकिद हुआ.

यूँ तो हमदर्द  बेशुमार मिले , काश अब कोई गम-गुसार मिले...............अज़ीज़ सेथली

शिकस्त खा गई हालात से अना मेरी ,ज़रूरतों ने सवाली बना दिया मुझको ..........अज़ीज़ शाहजहांपुरी


फिर तेरी याद ने शहर -जाँ में हंगामा किया ,
फिर तस्सवुर में तेरी तस्वीर रोशन हो गई ....................रौनक मुस्सविर


समंदर में उतरना चाहते हैं , ये दरया आज मरना चाहते हैं ........अख्तर शाहजहांपुरी


क्या पलट कर कभी में नहीं आऊंगा , शहर का शहर है महरबान किसलिए ...असगर यासिर

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