इन्शैया कहें या मजाहिया नसर कहें , मगर ये बहुत ही लतीफ़ , ज़हानत से भरी नसर निगारी है जिसमें कलम , लफ्ज़ , ज़हन , समाज सब पर बहुत गहरी पैठ होना ज़रूरी है इस शहर मैं कलम के धनी बहुत लोग और हर उम्र में रहे हैं मगर इस फील्ड मैं क़दम रखना हर एक के बस की बात नहीं है फिर भी जनाब मशहूद अहमद खान " अफाक' ने इस मैदान में बहुत मजबूती और कामयाबी से क़दम रख हुआ है उनकी ये किताबें शाया होकर , शाहजहांपुर के अदब में एक बहुत बड़ी कमी को दूर कर चुकी हैं
1. RANGE-MIZAH
2. MISRAY SAANI
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